सेवायाः दानं च न केवलं स्वार्थस्य साधनं, किंतु समाजस्य कल्याणं च एकत्वं च प्रापयति। - शिवनाद प्रतिष्ठान
सेवा राष्ट्र निर्माण की नींव है क्योंकि यह समाज में एकता, सहयोग और परस्पर समर्थन की भावना को बढ़ावा देती है।
जब नागरिक स्वेच्छा से समाज की भलाई के लिए काम करते हैं, तो वे न केवल सामाजिक समस्याओं का समाधान करते हैं, बल्कि एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र की दिशा में योगदान भी करते हैं।
सेवा के माध्यम से हर व्यक्ति अपनी सामर्थ्य और क्षमता के अनुसार देश के विकास में हिस्सा ले सकता है, जिससे सामूहिक रूप से एक बेहतर भविष्य का निर्माण होता है।
So, contributing yourself is not just a simple act; it brings peace of mind and plays a vital role in nation-building as well.
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धन्योऽस्मि परमकारुणिकाय ते नमः। - I am grateful, salutation to the supreme benevolent one.